dishasandhaan.in - दिशा सन्‍धान - दिशा सन्धान

Description: मार्क्सवादी सैद्धान्तिक शोध एवं विमर्श का मंच

Example domain paragraphs

भारतीय फ़ासीवाद का मौजूदा अस्तित्व रूप यानी मोदी लहर, गिरावट के प्रथम लक्षण प्रदर्शित कर रहा है। लोग नाराज़ हैं, असन्तुष्ट हैं और क्रान्तिकारी प्रचार और उद्वेलन के लिए तैयार हैं। साथ ही, यह भी याद रखा जाना चाहिए कि क्रान्तिकारी शक्तियों को पूँजीवादी चुनावों में भी रणकौशलात्मक भागीदारी करनी चाहिए और सर्वहारा वर्ग का स्वतन्त्र राजनीतिक पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए और साथ ही पूँजीवादी व्यवस्था को उसके असम्भाव्यता के बिन्दु पर पहुँचाना चाहिए। लेकिन यह भी नहीं भूला जाना चाहिए कि समूची फ़ासीवाद-विरोधी रणनीति को चुनाव

चारु एक निश्चित सीमा तक जनता की लामबन्दी के बाद छापामार युद्ध की शुरुआत की जगह छापामार युद्ध को ही जनता को लामबन्द करने का एकमात्र रास्ता मानते थे और छापामार युद्ध का उनके लिए मतलब था, गुप्त दस्तों द्वारा वर्ग शत्रुओं का सफ़ाया। माओ ने दीर्घकालिक लोकयुद्ध के बारे में लिखते हुए यह स्पष्ट बताया था कि बुर्जुआ वर्ग के सफ़ाये (एनिहिलेशन) का मतलब यह नहीं है कि उसका शारीरिक तौर पर सफ़ाया कर दिया जायेेगा, बल्कि इसका मतलब यह है कि एक वर्ग के रूप में उसका सफ़ाया कर दिया जायेेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि शत्रु को तबाह

7 नवम्‍बर, 1917 (नये कैलेण्‍डर के अनुसार) की आधी रात को पेत्रोग्राद के क्रान्तिकारी मज़दूरों के दस्‍ते जब शीत प्रासाद की ओर बढ़ रहे थे तब उन्‍हें सम्‍भवत: इस बात का अहसास नहीं रहा होगा कि वे मानवता के इतिहास के एक नये अध्‍याय का पन्‍ना पलटने जा रहे हैं। उनकी बन्‍दूकों ने रूसी क्रान्ति के साथ ही दूसरे देशों में भी क्रान्तियों की राह को रौशन किया। अक्‍टूबर क्रान्ति की तोपों के धमाके पूरी दुनिया में गूँज उठे। पूरी दुनिया में मज़दूर वर्ग और मेहनतकश अवाम के संगठित होने, कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों के निर्माण और मज़दू

Links to dishasandhaan.in (2)