--ख्यालों की बेलगाम उड़ान...कभी लेख, कभी विचार, कभी वार्तालाप और कभी कविता के माध्यम से...... हाथ में लेकर कलम मैं हालेदिल कहता गया काव्य का निर्झर उमड़ता आप ही बहता गया.
मौसम ठंडा है या गरम ? नहीं पता. जहाँ हूँ वहाँ अच्छा लग रहा है.
अभी अभी आँख लगी थी या अभी अभी आँख खुली है , समझ नहीं पा रहा हूँ.