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ईश्वरीय वाणी वेद - स्वाध्याय केलिए निःशुल्क पोर्टल

वेद शब्द की उत्पत्ति  विद्  धातु और प्रत्यय शब्द  घञ्  से हुई है । विद्  का अर्थ है 'ज्ञान' और प्रत्यय शब्द  घञ्  'क्रिया' से संबंधित है। वेद चार हैं [ 'ऋग्वेद', 'यजुर्वेद', 'सामवेद', और 'अथर्ववेद' ], जो मानव सभ्यता के आरम्भ में चार ध्यानस्थ ऋषियों [ अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा ] के अन्तःकरण में प्रकाशित हुए थे । [१]

वेद मंत्रों के तीन प्रकार के अर्थ हो सकते हैं : याज्ञिक / आधिभौतिक (विज्ञान या क्रिया आधारित), आधिदैविक (महानता की स्तुति), और आध्यात्मिक । वेदों में किसी समुदाय विशेष का इतिहास या स्थान विशेष का भूगोल नहीं है । इतिहास और भूगोल में कई नाम वेदों के शब्दों से लिए गए हैं न कि इसके विपरीत । यजु ३६.१  [२]   में चारों वेदों के प्रमुख विषयो पर काव्यात्मक संकेत मिलता है :  ऋग्वेद  ज्ञान और वाणी को प्रतिपादित करता है।  यजुर्वेद  मन को विकसित करता है जो सभी कार्यों का स्रोत है।  सामवेद  जीवन ऊर्जा और लक्ष्य को विकसित

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